Amritsar(Rajeev Sharma): केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पंजाब भाजपा के सिख नेता प्रोफेसर सरचांद सिंह ख्याला ने सिक्किम में गुरुद्वारा गुरुडोंगमार साहिब की पुरानी महिमा और गरिमा को बहाल करने के लिए तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। लिखित पत्र में उन्होंने कहा कि सिक्किम के चुंगथांग में गुरुडोंगमार झील पर स्थित श्री गुरु नानक देव जी की याद में बने गुरुद्वारा गुरुडोंगमार साहिब का मामला सिख समुदाय की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. 5 साल पहले यानी 16-08-2017 को, स्थानीय प्रशासन ने गुरुद्वारा गुरुडोंगमार साहिब को बौद्ध मंदिर में बदलने के लिए बलपूर्वक खाली कर दिया था। गुरुडोंगमार साहिब की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में गुरुद्वारे का सारा सामान उस समय सड़क पर फेंक दिया गया था। इसे गुरु नानक के नाम लेवा सभी सिखों के दिलों को आहत पहुंची। इस मामले को लेकर सिलीगुड़ी के गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा और स्रोमणि कमेटी ने कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन हाल ही 10 अक्टूबर, 2023 में सिक्किम उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति मीनाक्षी मदन रॉय ने सिक्किम हाई कोर्ट में लंबित रिट डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या: 49/2017 को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत निपटान के लिए अयोग्य मानते हुए खारिज किया है। जिस पर सिक्किम उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 13.09.2017 के माध्यम से यथास्थिति बनाये रखने के निर्देश दिये थे। प्रोफेसर सरचांद सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि रिट याचिका खारिज होना सिख समुदाय के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग इस मुद्दे पर राजनीति कर स्थानीय बौद्ध धर्म के निवासियों को भड़काने में लगे हुए हैं. कुछ दिन पहले, भारत-चीन सीमा के पास लाचेन गांव, जहां गुरुडोंगमार झील स्थित है, की अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कड़ा बयान दिया था कि सिक्किम सरकार किसी भी हालत में गुरुद्वारे की पुन: स्थापना की अनुमति नहीं देगी। मुख्यमंत्री जैसे प्रमुख व्यक्ति द्वारा गुरुडोंगमार झील के बारे में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर तिब्बती बौद्ध धर्म के संस्थापक गुरु पद्मसंभव से जोड़ने का धार्मिक और सांप्रदायिक पहलू चिंताजनक है। अपने फैसले से पहले कोर्ट ने 27 अप्रैल 2023 को सिक्किम सरकार के महाधिवक्ता के दिए गए बयान के आधार पर दोनों पक्षों को
मामले को कोर्ट के बाहर सुलझाने का आदेश दिया था, लेकिन सिक्किम सरकार ने कोर्ट के आदेश को लागू करने पर कोई कार्रवाई नहीं की, जो उनके नकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। प्रोफेसर सरचांद सिंह ने आगे कहा कि स्थानीय बौद्ध समुदाय के वोट हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री तमांग और उनकी पार्टी ‘सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा’ द्वारा निकट भविष्य में गुरुद्वारा गुरुडोंगमार साहिब को नुकसान पहुंचाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से अपील की कि वह सिख समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तुरंत सिक्किम सरकार और स्थानीय प्रशासन को एक एडवाइजरी भेजें ताकि गुरुद्वारा साहिब के संबंध में आगे कोई दुर्व्यवहार न किया जा सके। इसके साथ ही सिक्किम के गुरुद्वारा गगुरुडोंगमार साहिब के अस्तित्व और मर्यादा को बहाल करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से तत्काल प्रभाव से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया.