एक मौका मांगने वालों को भी नहीं दिख रही लावारिस शहर करतारपुर की दयनीय हालत

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एक मौका मांगने वालों को भी नहीं दिख रही लावारिस शहर करतारपुर की दयनीय हालत
एक मौका मांगने वालों को भी नहीं दिख रही लावारिस शहर करतारपुर की दयनीय हालत

Kartarpur(Sukhprit Singh):मौसम बदले लोग बदले प्रधान बदले दल बदले सरकारें बदल गई परंतु करतारपुर के मुख्य प्रवेश द्वार की हालत ना पहले बदली थी ना अब बदली है और ना ही बदलने की कुछ उम्मीद दिखाई दे रही है आज भी करतारपुर के मुख्य प्रवेश द्वार फर्नीचर बाजार मैं दुकानों के आगे खड़ा पानी दुकानदारों तथा करतारपुर में धार्मिक स्थलों के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं और फर्नीचर मार्केट में आने वाले ग्राहकों का मुंह चढ़ाता हुआ दिखाई देता है लंबे समय से करतारपुर में फर्नीचर खरीदने के लिए आने वाले तथा धार्मिक स्थलों के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं तथा व्यापारियों के मुंह से एक ही बात सुनने को मिलती है कि पिछले 25/30 सालों से हम यहां आ रहे हैंपरंतु करतारपुर कीदयनीय हालत मेंकभी कोई सुधार देखने को नहीं मिला स्थिति जस की तस हैफिर चाहे वह शहर मेंगंदे पानी के निकास की समस्या होचाहे जगह-जगह पड़े हुए कूड़े करकट की समस्या हो और शहर के बाजारों में दुकानदारों द्वारा किए गए अतिक्रमण की समस्या जिस पर की कभी प्रशासन अपना शिकंजा कस ही नहीं पाया हर बार केबल कार्यवाही के नाम पर लीपापोती ही की जाती है कुछ घंटों के लिए अतिक्रमण हटवा दिया जाता है और उसके बाद फिर से स्थिति वैसी की वैसी ही हो जाती है एक मौका मांग कर सत्ता में आने वाले सत्ता धारियों को भी शायद शहर की इस प्रकार की मुख्य समस्याएं दिखाई नहीं देती हैं इसीलिए स्थिति जस की तस बनी हुई है हल्की सी भी बारिश होने पर शहर में जगह-जगह पानी खड़ा हो जाता है जो कि निकासी ना होने की वजह से दिन भर वैसे का वैसे ही खड़ा रहता है जिसमें मच्छर इत्यादि होने की वजह से बीमारी फैलने की आशंका भी रहती है वही इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा बनाई गई कॉलोनी के द्वार पर और सिविल अस्पताल करतारपुर के मुख्य द्वार के सामने भारी मात्रा में कूड़ा फैला रहता है जिससे कि वहां से लोगों का आना जाना भी दूभर हो जाता है करतारपुर शहर के सभी नेता प्रधान एमसी तथा अन्य प्रतिष्ठित लोग सभी रोजाना इसी फर्नीचर बाजार से होकर गुजरते हैं परंतु इस बाजार के हालात देख कर भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कभी भी किसी ने यहां रुक कर बाजार वालों की मुश्किलें सुनने या उन्हें सुलझाने की कोशिश नहीं की केवल चुनावों के समय ही वह एक बार हाथ जोड़कर मिलने को आ जाते हैं और सभी को बड़े बड़े विकास कार्यों का लॉलीपॉप देकर चले जाते हैं परंतु जमीनी स्तर पर शहर की कैसी दयनीय हालत है यह तो केवल शहर के लोग तथा दुकानदार और यहां आने वाले श्रद्धालु तथा व्यापारी ही सही से बता सकते हैं असल में देखा जाए तो करतारपुर शहर एक लावारिस शहर बनकर रह गया है

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