

Jalandhar(S.K Verma):प्रेम चंद मारकंडा एस.डी. महिला कॉलेज, जालंधर में (पंजाब) भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से “ओवरलैपिंग ऑफ़ आर्यावर्त एंड रामायण परिक्रमा एक्रॉस साउथ एशिया: एन इंटरप्रेटेटिव एक्सेजिसिस ऑफ बॉथ सर्किल एक्रॉस टाइम एंड स्पेस” विषय पर तीन दिवसीय इंटर डिसिप्लिनरी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत में कॉलेज की प्राचार्य डॉ.(श्रीमती) पूजा पराशर ने विद्यालय की ओर से सभी का औपचारिक स्वागत किया। सम्मेलन के दूसरे दिन, पूर्ण सत्र की अध्यक्षता भूटान के डॉ. चित्रा (असिस्टेंट प्रोफेसर , इंग्लिश, रॉयल विश्वविद्यालय योनफुला सेंटेनरी कॉलेज) ने की। उन्होंने कहा कि रामायण का पालन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि थाईलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान जैसे कई अन्य देशों में भी होता है। मदन चर्नी चड्डा (क्रिएटिव स्पेशलिस्ट विद मिनिस्ट्री ऑफ एजूकेशन, सूचना और संचार मंत्रालय, भूटान) ने कहा कि रामायण प्यार, सम्मान और एकता की भावना पैदा करती है। तकनीकी सत्र में लगभग तीस प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। सम्मेलन के तीसरे दिन के मुख्य वक्ता धन प्रसाद (प्रोफ़ेसर पंडित पद्मा कन्या मल्टीपल कैंपस, नेपाल) थे। उन्होंने छात्रों को उनकी संस्था के साथ एक समझौते, इंटरनेशनल मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग स्टूडेंट एक्सचेंज पर हस्ताक्षर करने के लिए हमारी संस्था द्वारा मांगी गई पहल के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे यह कदम न केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए बल्कि मानवीय आधार पर भी समग्र विकास को प्रोत्साहित करेगा।डॉ. खुम प्रसाद शर्मा (पद्मा कन्या मल्टीपल कैंपस, नेपाल) एक अन्य वक्ता थे। उन्होंने कहा कि रामायण हमारी परंपरा का हिस्सा है और हमें इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए । इस पुरातनपंथी पाठ की प्रासंगिकता केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कालातीत है। डॉ. जय सिंह (ईएफएल विश्वविद्यालय, हैदराबाद) ने कहा कि हमें सार्वभौमिक कल्याण का संदेश देने वाले भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही, उनके अनुसार विषय को एक साहित्यिक दृष्टिकोण से एक कथा के रूप में देखा जाना चाहिए। डॉ पूनम सूद (हिंदी विभाग, एस.वी. कॉलेज, दिल्ली) ने कहा कि रामायण के अलावा कोई अन्य धार्मिक ग्रंथ नहीं है जिसने हमारी सभ्यता पर इतना गहरा प्रभाव डाला हो और यह पवित्र ग्रंथ मनुष्य और समाज को सर्वोत्तम तरीके से पोषित करता है। समापन सत्र मेंअश्विनी अग्रवाल (पूर्व प्रोफेसर पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़) ने कहा कि रामायण एक आदर्श संदर्भ पुस्तक है प्रत्येक विषय और उसकी बढ़ती प्रासंगिकता न केवल दक्षिण एशिया बल्कि सभी भौगोलिक सीमाओं को पार कर जाती है, जिससे ‘परिक्रमा’ का पूरा चक्र पूरा होता है और प्रभाव सर्वोपरि होने के साथ-साथ कई गुना होता है। विनोद दादा (वाइस प्रेसिडेंट, गवर्निंग बॉडी पी.सी.एम.एस.डी. कॉलेज फॉर विमेन) ने अपनी शानदार उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। सम्मेलन के समापन पर डॉ. किरण अरोड़ा (संयोजक कॉन्फ्रेंस) ने सभी बुद्धिजीवी और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस सम्मेलन की कोऑर्डिनेटर कवलजीत कौर थीं। मंच सचिव का कार्य डॉ. नीना मित्तल, (एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी डिपार्टमेंट) दिव्या बुधिया (असिस्टेंट प्रोफेसर, इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट) और शिखा पुरी (असिस्टेंट प्रोफेसर, कॉमर्स डिपार्टमेंट) द्वारा प्रभावी ढंग से किया गया ।डॉ जय सिंह का इस सम्मेलन के आयोजन में अत्यधिक योगदान था ।