Amritsar(Rajeev Sharma):
भारत के महान नेता, स्वतंत्रता सेनानी, चिन्तक एवं विचारक जनसंघ के संस्थापक व अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 69वें बलिदान दिवस भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष सुरेश महाजन की अध्यक्षता में भाजपा कार्यालय शहीद हरबंस लाल खन्ना स्मारक में आयोजित श्रद्धांजली कार्यक्रम में सभी भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा द्वारा 23 जून से 6 जुलाई तक मनाए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के नियुक्त संयोजक प्रदेश भाजपा सचिव राजेश हनी विशेष रूप से उपस्थित हुए।
राजेश हनी ने उपस्थित कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय है। डॉ. मुखर्जी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, महान शिक्षाविद, महान समाज सुधारक और भारत माता के महान सपूत थे। उनके बलिदान का ही परिणाम है कि तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु तथा कांग्रेस सरकार की गलत संधि के कारण जम्मू-कश्मीर और देश के खिलाफ धारा 370 के रूप को जबरन थोप कर एक घिनौनी साजिश रची गई थी। जिससे अलगाववाद और आतंकवाद को बहुत बढ़ावा दिया गया। राजनीति की अलख जगाने वाले डॉ. मुखर्जी ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में लगी धारा 370 के खिलाफ आवाज उठाई थी।
राकेश गिल ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की तुष्टीकरण की नीति का डट कर विरोध किया। डॉ. मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर गुरु गोलवलकर के साथ चर्चा कर जनसंघ का गठन किया। धारा 370 के चलते तत्कालीन जम्मू-कश्मीर में परमिट लेकर जाना पड़ता था, लेकिन धारा 370 के विरोध में डॉ. मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में बिना परमिट प्रवेश किया। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वहीं उनकी रहस्यमई तरीके से मौत हो गई। देश की एकता और अखंडता का जो पाठ श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने पढ़ाया था, आज वह आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी जी के नेतृत्व में चरितार्थ कर रहे है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार किया जा रहा है, यही डॉ. मुखर्जी के प्रति उनकी विनम्र श्रद्धांजलि है।
सुरेश महाजन ने कहाकि माँ भारती के अमर सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का बलिदान स्वतंत्र भारत का ऐसा बिलदान था, जिसने उस समय पूरे देश को झकझोर दिया था। डॉ. मुखर्जी के देश, संगठन, राजनीति व समाज में योगदान को हमेशा याद किया जाता है। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वह जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े थे। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर लिया गया, जहां 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई, जो कि आज भी रहस्य बनी हुई है। डॉ. मुखर्जी ने नारा दिया था कि देश में ‘दो सविधान, दो निशान व दो प्रधान’ नहीं चलेंगे और आज जम्मू–कश्मीर में बिना परमिट के जाने का श्रेय भी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ही जाता है। महाजन ने कहाकि हमें डॉ. मुखर्जी के दर्शाए हुए मार्ग पर चलना चाहिए।
इस अवसर पर जिला भाजपा महासचिव राजेश कंधारी, सुखमिंदर सिंह पिंटू, जिला उपाध्यक्ष मानव तनेजा, डॉ. राकेश शर्मा, डॉ. राम चावला, सरबजीत शंटी, कुमार अमित, डॉ. हरविंदर संधू, श्रुति विज, राजीव शर्मा डिम्पी, विनोद नंदा, शक्ति कल्याण, सतपाल डोगरा, अंकुश मेहरा, गौतम अरोड़ा, अलका शर्मा, कँवलजीत सिंह सन्नी, वरिंदर सिंह स्वीटी, रमन शर्मा, सुधीर श्रीधर, राकेश महाजन, मोनू महाजन, संदीप बहल, शिव कुमार शर्मा, अनमोल पाठक, तरुण अरोड़ा, राघव खन्ना आदि कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।