Chandigarh(Davinder Garg):
मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान की दूरदर्शी सोच के अंतर्गत पंजाब को ग्रीन हाईड्रोजन के उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने और ग्रीन हाईड्रोजन ईकोसिस्टम को उत्साहित करने के लिए पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी ( पेडा) की तरफ से ग्रीन हाईड्रोजन नीति, जिसको ’पंजाब ग्रीन हाईड्रोजन नीति 2023’ के तौर पर जाना जायेगा, का मसौदा सार्वजनिक कर दिया गया है, जिसके बारे सम्बन्धित भाईवालों और आम लोगों से सुझाव/ टिप्पिणयां माँगीं हैं।
यह सम्बन्धी जानकारी देते हुये पंजाब के नवीन और नवीकरणीय स्रोत मंत्री श्री अमन अरोड़ा ने बताया कि आम लोगों से टिप्पणियाँ और सुझाव लेने के लिए ग्रीन हाईड्रोजन नीति का मसौदा पेडा की वैबसाईट www.peda.gov.inपर अपलोड कर दिया गया है और इस सम्बन्धी टिप्पिणयां/ सुझाव डाक के द्वारा या ईमेल kulbirsingh@peda.gov.in और rohit.kumar945@punjab.gov.in पर 5 नवंबर, 2023 तक भेजे जा सकते हैं।
श्री अमन अरोड़ा ने कहा कि इस नीति का मकसद साल 2030 तक 100 किलो टन उत्पादन सामर्थ्य के साथ पंजाब को ग्रीन हाइड्रोजन/ अमोनिया के उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाना है। इसके इलावा हाईड्रोजन पैदा करने के नवीनतम उत्पादन सामर्थ्य जैसे बायोमास गैसीफीकेशन, स्टीम मीथेन रिफारमिंग, वेस्ट वाटर की इलैकट्रोलाईसिस, हाईड्रोजन फ्यूल बलैंडिंग आदि विकसित करना है।
उन्होंने कहा कि यह नीति हाईड्रोजन गैस सैक्टर में स्किल डिवैल्पमैंट को उत्साहित करने के साथ-साथ राज्य में करोड़ों रुपए का निवेश लेकर आयेगी। इसके इलावा इससे नौजवानों के लिए रोज़गार के मौके पैदा होंगे और उद्योगों की तरफ से नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को यकीनी बनाया जायेगा।
पेडा के सी. ई. ओ. डा अमरपाल सिंह ने कहा कि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का प्रयोग करके पैदा की गई ग्रीन हाईड्रोजन एक साफ़-सुथरी ऊर्जा होने के साथ-साथ उद्योग के लिए फीडस्टाक (कच्चा माल) भी है जिसके प्रयोग से अलग-अलग तरह के सिंथेटिक ईंधन तैयार किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि खेती प्रधान राज्य होने के कारण पंजाब के पास कृषि बायोमास अवशेष का प्रयोग करने की बड़ी क्षमता है जिससे ग्रीन हाईड्रोजन पैदा होगी और देश में इसकी बढ़ रही माँग को पूरा किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि ग्रीन हाईड्रोजन मिशन, साल 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड की नैट-ज़ीरो निकासी के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक अहम कदम होगा जिससे प्री-इंडस्टरियल स्तर को ध्यान में रखते हुये तापमान के वृद्धि को 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।